लो आ गया जमाना USB 3.0 का

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USB (universal serial bus) - कहने को यह छोटा सा कनेक्टर है लेकिन आज इसकी अनिवार्यता इसके नाम से ही पता चलती है कि इसने कितनी जल्दी डाटा ट्रांसफ़र और डेटा सेव और अन्य तकनीकी उत्पादों की कार्यक्षमता को बढाया है और कम्प्यूटर के क्षेत्र को कितना सुगम और तीव्र गति प्रदान की है।

सन 1996 में काम्पैक, डिजीटल, आई.बी.एम., इंटेल, नार्दर्न टेलीकाम और माइक्रोसोफ़्ट ने मिलकर इसकी संरचना की। इसके सह-खोजकर्ता और अनुसंधानकर्ता श्री अजय भट्ट हैं जिनके बारे में हम इंटेल के टी.वी विज्ञापन में भी देख चुके हैं।

सबसे पहले आयी USB 1.0 जो केवल 12 MB/Second की दर से डाटा ट्रांसफ़र की गति प्रदान करती थी

फ़िर सन 2001 में एच.पी एवम अल्काटेल-ल्यूसेंट ,माइक्रोसोफ़्ट, एन..सी. और फ़िलिप्स ने मिलकर USB 2.0 बनायी जो USB 1.0 के मुकाबले में 480 एम.बी./सैकेंड की रफ़्तार से डाटा ट्रांसफ़र करती है जो अपने आप में अनूठा रिकार्ड रहा।

लेकिन अब 12 नवम्बर 2008 से इसके प्रमोटर ग्रुप ने फ़िर से इसे डिजाइन करके USB 3.0 को बनाया है जिसे उन्होने सुपर-स्पीड यू.एस.बी. का नाम दिया है जो वाकई में एक सुपर स्पीड होने का एहसास भी है इसकी स्पीड USB 2.0 के मुकाबले लगभग 10 गुना तेज है यानी कि 4 जी.बी/सैकेंड है ना कमाल की बात

तो अब यह मान लीजिये कि आपके यू.एस.बी डिवाइस को अपग्रेड करने का समय फ़िर से गया है।